कँवल कहिए
उनके चेहरे पे इक ग़ज़ल कहिए
आसमाँ में खिला कँवल कहिए
जो बढ़ा दे फ़िजा मुहब्बत की
आँसुओं से नयन सजल कहिए
बाँध दे जो नज़र से धड़कन को
प्यार की हो गयी पहल कहिए
बो दिया नब्ज़ मे कसक दर्द-ए
प्रेम की बढ़ गई फसल कहिए
अंग में चँद्रिका, निशा शबनम
रेणुका संग में गंगाजल कहिए
हीर, रोती, मयंक के उल्फ़त
डाह का इक नया महल कहिए
सम-विषम चाँद यह दिखा हमको
रेख दिल में पड़ी सरल कहिए
डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’
19/5/2023