और भी कितने…
और भी कितने साहू हैं, जो बने हुए हैं साहूकार ।
और भी कितने राहु हैं, जो बने हुए हैं चाटुकार ।।1।।
और भी कितने डाकू हैं, जो बने हुए हैं यूं सरकार ।
और भी कितने चाकू हैं, जो बने हुए हैं पहरेदार ।।2।।
और भी कितने नेता हैं, जो बने हुए हैं सियासतदार ।
और भी कितने अभिनेता, जो बने हुए हैं धन के द्वार ।।3।।
और भी कितने नटवर हैं, जो बने हुए हैं यूँही लाल ।
और भी कितने अनवर हैं, जो बुने हुए हैं यूँही जाल ।।4।।
और भी कितने श्री यहा पर, जो बने हुए हैं 420 ।
और भी कितनी लक्ष्मी हैं, जो पड़ी हुई हैं इनके निवास ।।5।।
और भी कितने सफेदपोश, जो बने हुए हैं बगुले आज ।
और भी कितने धीरज हैं, जो बने हुए हैं ज्ञानी आज ।।6।।
और भी कितने काग यहा पर, जो निगल रहे हैं मोती आज ।
और भी कितने घाग यहा पर, जो छुपा रहे हैं चहरा आज ।।7।।
और भी कितने चमचे हैं, जो बने हुए हैं चाशनी आज ।
और भी कितने गमछे हैं, जो बने हुए हैं पर्दे आज ।।8।।
और भी कितनी मूरत हैं, जो चाह रहे हैं इनको आज ।
और भी कितनी सूरत हैं, जो साथ खड़ी हैं इनके आज ।।9।।
और भी कितने सपने हैं, जो दिखा रहे हैं हमको आज ।
और भी कितने अपने हैं, जो लूट रहे हैं हमको आज ।।10।।
और भी कितने चोर यहा पर, जो छुपे हुए हैं इनके पास ।
और भी कितने मोर यहा पर, जो नाच रहे हैं इनके पास ।।11।।
—ललकार भारद्वाज