और धुंध छंटने लगी
सूर्य की किरणे चली
और धुंध छंटने लगी
पूरब उम्मीद की दिशा
पिछे को छूटी निशा
पक्षी फिर चहचहायेगे
फूल चमन महकायेंगे
रात पहर में बंटने लगी
और धुंध छंटने लगी
दुख के बादल उड़ गये
हवा के झोके मुड़ गये
जो भुले भटके थे कभी
आपस में फिर जुड़ गये
खुशी की बयार बहने लगी
और धुंध छंटने लगी
नूर फातिमा खातून” नूरी”
जिला -कुशीनगर