और तुम कहते हो मुझसे
और तुम कहते हो मुझसे, मैं उनसे मिलने जाऊं।
रहूँ उनके साथ कुछ दिन, मैं उनसे हाथ मिलाऊं।।
और तुम कहते हो मुझसे————————।।
सोचा बहुत दिन हो गए, अपनों से बात किये।
अपना घर देखें हुए, उनके साथ भोजन किये।।
झट से हुआ तैयार मैं, चल दिया उनसे मिलने।
लेकिन वहाँ देखा मैंने, खुश नहीं था कोई मुझसे।।
और तुम कहते हो मुझसे————————।।
मैं गया यारों से मिलने, जिनके सँग बहुत रहा था।
सँग बहुत खेलें थे हम, जिनको हर राज कहा था।।
अब उनसे करता हूँ बातें, बताते हैं मुझको मजबूरी।
हंसते नहीं है अब मिलकर, नहीं रही अब वो यारी।।
और तुम कहते हो मुझसे————————-।।
जिसको किया था प्यार बहुत, ख्वाब दिखाये थे जिसने।
साथ निभाने को कहा था, जिसको माना था खुशी हमने।।
लेकिन अब वो महलों में है, साथी है नया अब उसका।
चुराता है नजरें अब हमसे, कैसे मिलेगा प्यार उसका।।
और तुम कहते हो मुझसे————————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)