और क्या
गज़ल
है वफा यार इसके सिवा और क्या
दूर तू है मगर ना जुदा और क्या
हर घड़ी याद बन कर रहे साथ मे
प्यार इसके सिवा है भला और क्या
गुफ्तगू ना सही हम मगर साथ हैं
दिल भला मांगता है बता और क्या
था परेशां जिगर याद आती रही
दिल न माना बताऊँ सिवा और क्या
इक झलक देख कर चैन आया जरा
गर न मानू खुदा तो बता और क्या
मन्जिलों की नही है कभी आरजू
राह भी ना मिले तो मिले और क्या
याद आऊँ सदा खुशबुओं की तरह
राह कोई दिखा तू फकत और क्या
प्रदीप भट्ट