और कितना तू रोएगी जिंदगी ..
और कितना रोएगी जिंदगी बताना,
कितना है तेरे अश्कों का पैमाना ।
जन्म से लेकर अब तक रो ही रही है,
कुछ हासिल हुआ तुझे इससे बताना ।
कभी अपनों ने कभी गैरों ने रुलाया ,
मगर अश्क पोंछने न आया जमाना ।
जो भी आया कतरा के गुजर गया ,
जरूरी ना समझा हाल ए दिल पूछना!
प्यार ही मांगा था,कोई दौलत नहीं,
वो भी ना दे सका संगदिल जमाना।
अब खुदा के दर पर ही झोली फैला,
छोड़ दे प्यार के लिए दर दर भटकना ।
कोई कमी नहीं उसके पास रहमत की,
वो तेरे अश्क पोंछेगा,देगा साया अपना ।
जहां में एक ही रिश्ता सच्चा है”ए अनु”,
तेरा और खुदा का रिश्ता बस उसे निभाना ।