औरों के लिए सोचना अब छोड़ दिया हैं ,
औरों के लिए सोचना ,अब छोड़ दिया हैं ।
यह जिंदगी से सबक ,मैने सीख लिया है।
पड़ने पे जरुरत न ,जो काम आ सके ।
उन मतलबी लोगों से ,रिश्ता तोड़ लिया है।
खुल के जियेगें अब किसी का डर नही है।
अब मुझपे किसी का कोई, हक नही है।
जो दर्द में साथ न निभा सके मेरा,
मेरी खुशियों पे अब ,उनका हक नही है।
हर एक से अब रिश्ता, मैने तोड़ लिया है।
हर हाल में खुश रहना ,मैनें सीख लिया है।
मांगा था साथ उनसे ,झटक हांथ वो चले ।
आज मैने उन सबका , साथ छोड़ दिया है।
रूबी चेतन शुक्ला