औरों का अपमान
कुंडलियां छंद
जितना चाहे कीजिए,औरों का अपमान ।
करें नही पर भूलकर, दुर्जन का सम्मान ।
दुर्जन का सम्मान,बुलाते अपने दुर्दिन ।
कर देगा बरबाद, आपको ही वो इक दिन।
करिए उनसे प्यार, करो मत लेकिन इतना।
हर लेगा वो मान, आपने पाया जितना ।।
रमेश शर्मा.