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10 May 2022 · 1 min read

*औराक-ए-गुल (पुस्तक)*

औराक-ए-गुल (पुस्तक)
———————
रामपुर रजा लाइब्रेरी ने अपने फेसबुक पेज के माध्यम से रियासत के आखिरी दौर में जो शायर प्रमुखता से रचनाकार्य में संलग्न थे, उनकी रचना धर्मिता का परिचय कराने वाली पुस्तक औराक-ए-गुल के बारे में बताया है ।
1944 में इस पुस्तक को नवाब रजा अली खान की प्रेरणा से जमीर अहमद शम्सी ने संपादित /संकलित किया है । इसमें 29 शायर हैं तथा पुस्तक 367 पृष्ठ की है। महत्वपूर्ण बात यह है कि अधिकाँश शायरों के फोटो के साथ साथ उनकी हस्तलिपि भी पुस्तक में दी गई है । इसको पढ़कर मुझे साहित्यिक मुरादाबाद व्हाट्सएप समूह का अनायास स्मरण आ गया । इस समूह के संचालक डॉ मनोज रस्तोगी प्रत्येक रविवार को रचनाकारों से उनकी हस्तलिपि में ही कविताएँ आमंत्रित करते हैं । टाइप की हुई रचनाओं को उस दिन मान्यता नहीं दी जाती । हाल ही में इस अनूठी परंपरा को दो सौवीं बार मनाया गया अर्थात 200 सप्ताह इस हस्तलिपि की अभूतपूर्व परंपरा को हो गए । हस्तलिपि का महत्व अपनी जगह है। तभी तो 1944 में हस्तलिपि को पुस्तक में शामिल किया गया । अगर केवल टाइप को ही महत्व दिया जाता ,तब लेखकों की हस्तलिपि अज्ञात ही रह जाती ।आजकल के जमाने में जबकि अधिकांश लेखन सीधे मोबाइल पर बोलकर किया जाता है तथा चिट्ठियाँ लिखने का तो चलन ही पूरी तरह बंद हो गया है ,ऐसे में हस्तलिपि का महत्व और भी बढ़ जाता है । औराक-ए-गुल इस दृष्टि से एक मील का पत्थर कही जा सकती है ।
रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451

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