औरत
औरत
वो नाम
जिस की जात के
अन्दर समायी कायनात
कहीं बेटी
कहीं बहन
कहीं बीवी
कहीं माँ कहलाई
माँ बाप को मुहब्बत करने वाली
उन का ख्याल करने वाली
अपने घर से रुख़सत होकर
दूसरे के घर को
घर बनाने वाली
अपने चेहरे पे मुस्कान सजा
कर
घर मे आने वाले हर अपने
का इस्तकबाल करने वाली
एक अच्छी औरत ही
एक अच्छी
बेटी
एक अच्छी बहन
एक अच्छी बीवी
एक अच्छी माँ बन सकती है
सब्र के साथ घर चलाने वाली
कम खर्च में भी गुजारा करने वाली
औरत के दोनों जहां अच्छे है
ये मुक़ाम आखिर उस को यू ही तो नहीं मिला है
खुदा ने इनाम दिया है
उस के कदमों तले रख दी है जन्नत
उसकी बेमिसाल सब्र की ताकतों को सलाम
शबीनाज