औरत हूं अबला नहीं
औरत हूं अबला नहीं
सबल हूं निर्बला नहीं
छू सकती हूं आसमां को
झुका सकती मै इस जहां को
मत समझो कमजोर तुम मुझको
मैंने तुझको जन्म दिया है
पाला है रातों में जागकर
पर तूने मुझको ज़ख्म दिया है
मां, बेटी, पत्नी और बनकर बहन
मै हमेशा करती हूं सहन
झुक जाती हूं तेरे प्यार की खातिर
इसलिए तो मैं त्याग की मूरत हूं कहलाती
पर ना समझ मेरे त्याग को तू कमजोरी
क्यूंकि मै हूं तुम्हारी सच्ची हमजोली
मत कुचला कर मेरे सपनों को
पहचाना कर तू भी अपनो को
कर सकती हूं असंभव को संभव
क्यूंकि औरत हूं अबला नहीं
सबल हूं निर्बला नहीं
********** श्वेता आनंद ***********