औरत ही औरत की दुश्मन …
आज के समय में औरत औरत की नहीं होती ,
मां बेटी की ,बेटी मां की नहीं होती ।
बहने बहनों की नहीं होती ।
सास बहू की और बहु सास की नहीं होती ।
ननदें भाभी की नहीं और भाभी ननदों की नहीं होती ।
दफ्तरों में महिला सहकर्मी एक दूजे की हितेषी नही होती ।
राजनीति में भी महिला नेता सदा दूसरी महिला नेता
की कब्र खोदने में लगी रहती है।
इसीलिए नारियां अक्सर पुरुष सत्तामकता का दंश ,
झेलती है ।क्योंकि इनमें एकता नहीं होती।