औरत तेरी कहानी
औरत तेरी यही कहानी…
होंठो पर मुस्कान आखो में पानी..
न ससुराल है न मायका…
ना पति है ना बेटा…
दोनों से है रिश्ता तेरा…
पर तू न किसी के घर की रानी…
औरत तेरी यही कहानी…
न मन को तेरे समझे कोई..
न आखो का पानी देखे कोई…
पराये के घर से आई है..
तू है इस घर की बहु रानी..
औरत तेरी यही कहानी..
रिस्तो में तू जी जान लगा दें..
सेवा मे अरमान लगा दें…
खुद को कही भूल कर…
सबके सपनो को उड़ान दें..
फिर भी तानो में बसी तेरी जवानी…
औरत तेरी यही कहानी…
हर दर्द को तू भूल जाएगी…
हर जख्म को तु सह जाएगी..
आत्मसम्मान को मारकर…
तू खुद को कितना रुलायेगी…
क्या तू बोलेगी कभी अपनी जुबानी…
औरत तेरी यही कहानी…
अनिल “आदर्श”