औरत तुझमें सारे रूप।
दुर्गा, चंडी, काली, सरस्वती,,,
लक्ष्मी औरत तुझमें सारे रूप!!!
प्रेम,क्रोध के गुणों में महासागर,,,
स्त्री तुम हो सृष्टि में महारूप!!!
लड़ती देखी,सहन शक्ति देखी,,,
तुझमें देखा जीवन का हर रूप!!!
ममता की व्याख्या को निशब्द हूं,,,
मां का जीवन है ईश्वर स्वरूप!!!
मानव ने बहुत तुझे बदनाम किया,,,
पर मुझे दिखा ना तुझमें कुरूप!!!
फिर भी अस्तित्व तेरा रहा,,,
जैसे सर्प लिपटे चंदन स्वरूप!!!
ताज मोहम्मद
लखनऊ