Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Mar 2022 · 1 min read

औरत के भीतर का ये एहसास

“एहसास”
औरत के भीतर का ये एहसास
जिसे कोई समझ नहीं पाता
और शायद समझना भी नहीं चाहता
दर्द को छिपाती जबरन सी उसकी मुस्कुराहट
खेलता था बचपन, खिलखिलता हुआ यौवन
जाने कब बीत गया, वो खुशनुमा सावन
आज घर परिवार और कामकाज के बीच
अपनों की भीड़ में भी एक अनजाना अकेलापन…
एक एहसास जो दिखाई नहीं देता पर
बेपरवाह सा साथ रहता है हमेशा
जिसे वो महसूस तो करती है मगर
लफ्जों में बयां नहीं कर पाती
भीतर ही भीतर बढ़ता खालीपन
सबके लिए जरुरी फिर भी बेमानी सा वज़ूद
घर परिवार की जिम्मेदारियों, नौकरी की
आपाधापी और अनगिनत अपेक्षाओं के बीच…
एक सेतु की तरह,उस एहसास और सुकून को खोजती हुई
जिंदगी के सौंदर्यबोध से भरी
कल तक थी जो हर गम से बेज़ार
सबको निभाने और काम के बोझ तले दबी आज
अनचाहे..अनजाने ही कब, क्यों और कैसे
एक चिड़चिड़ी और परेशान औरत में
तब्दील होती जा रही है
कोई नहीं जानता..और शायद
जानना भी नहीं चाहता….
दीपाली कालरा

Language: Hindi
1 Like · 206 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
" दोहरा चरित्र "
DrLakshman Jha Parimal
वृक्ष की संवेदना
वृक्ष की संवेदना
Dr. Vaishali Verma
माँ सरस्वती वंदना
माँ सरस्वती वंदना
Karuna Goswami
कुत्ते का श्राद्ध
कुत्ते का श्राद्ध
Satish Srijan
4440.*पूर्णिका*
4440.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ह्रदय की पीड़ा से
ह्रदय की पीड़ा से
Dr fauzia Naseem shad
एक व्यथा
एक व्यथा
Shweta Soni
कसक
कसक
Dipak Kumar "Girja"
जब तक बांकी मेरे हृदय की एक भी सांस है।
जब तक बांकी मेरे हृदय की एक भी सांस है।
Rj Anand Prajapati
जो खत हीर को रांझा जैसे न होंगे।
जो खत हीर को रांझा जैसे न होंगे।
सत्य कुमार प्रेमी
पैसे कमाने के लिए लोग नीचे तक गिर जाते हैं,
पैसे कमाने के लिए लोग नीचे तक गिर जाते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
कहां खो गए
कहां खो गए
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
"ककहरा"
Dr. Kishan tandon kranti
रविदासाय विद् महे, काशी बासाय धी महि।
रविदासाय विद् महे, काशी बासाय धी महि।
गुमनाम 'बाबा'
मरने की ठान कर मारने के लिए आने वालों को निपटा देना पर्याप्त
मरने की ठान कर मारने के लिए आने वालों को निपटा देना पर्याप्त
*प्रणय*
मानवता
मानवता
Rahul Singh
ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा
ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा
Chitra Bisht
राम प्यारे हनुमान रे।
राम प्यारे हनुमान रे।
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
अफसोस है मैं आजाद भारत बोल रहा हूॅ॑
अफसोस है मैं आजाद भारत बोल रहा हूॅ॑
VINOD CHAUHAN
छोड़ो  भी  यह  बात  अब , कैसे  बीती  रात ।
छोड़ो भी यह बात अब , कैसे बीती रात ।
sushil sarna
एक कोर्ट में देखा मैंने बड़ी हुई थी भीड़,
एक कोर्ट में देखा मैंने बड़ी हुई थी भीड़,
AJAY AMITABH SUMAN
दोस्ती
दोस्ती
Adha Deshwal
रिश्ता
रिश्ता
अखिलेश 'अखिल'
*दोस्त*
*दोस्त*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
காதல் என்பது
காதல் என்பது
Otteri Selvakumar
"मैं तारीफें झूठी-मूठी नहीं करता ll
पूर्वार्थ
मासूम कोयला
मासूम कोयला
singh kunwar sarvendra vikram
प्री वेडिंग की आँधी
प्री वेडिंग की आँधी
Anil chobisa
*इस वसंत में मौन तोड़कर, आओ मन से गीत लिखें (गीत)*
*इस वसंत में मौन तोड़कर, आओ मन से गीत लिखें (गीत)*
Ravi Prakash
" हय गए बचुआ फेल "-हास्य रचना
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
Loading...