औरत की कहानी
*******औरत की अहानी********
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औरत तेरी आज भी है वही कहानी
आँचल में दूध आँखों से बरसे पानी
सदियों से चली आ रही वही दास्तानें
न जाने कब होंगी ये कहानियाँ पुरानी
सदा होता आया सौतेला व्यवहार
घर में हालत ऐसी जैसे नौकरानी
प्रभात पहले उठती, देर रात सोती
कहते आती नहीं जिम्मेदारी निभानी
संसार की है सर्वश्रेष्ठ सुंदर रचना
भला क्यों की समझी जाती है बेगानी
अबला से क्यों नहीं बन पाई है सबला
कभी तो होगी औरत आत्म सम्मानी
पुरुषों के अधीनस्थ जीवन बीताती
सुता,बहन,पत्नी,माँ हर रूप में मर्दानी
दिली हसरतों को सदा रहती दफनाती
कब तक सहेंगी बन बेचारी बेमानी
मायके में पराई, ससुराल ना अपनाए
कौन सी है वो दुनिया जो है अंजानी
सबकी कार्य अवधियाँ होती है निश्चित
नारी में कौनसी शक्ति जो है रवानी
सृष्टि पर रब्ब की दृष्टि में उत्तम कृति
समाज में क्यों कुंठित है नारी मस्तानी
आज भी दरिंदगी के कहर से न बचती
कब तक रहेगी असुरक्षित मृदु जवानी
बदला जमाना बदल गई है कायनात
कब तक आएगी उनकी घटाएँ सुहानी
करोगे कुछ होश,बदलोगे अपनी सोच
देखिए कहाँ पहुँचती नारी इन्सानी
न चाहिए बदले में स्त्री को हीरे रत्न
प्रेम मान सम्मान की भूखी मरजानी
मनसीरत देश सचमुच होगा विकसित
देश में होगी सम्मानित नारी बलिदानी
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)