औरत की अहमियत
पत्नी-पति से फोन पर ,
सुनिए… आॅफिस से आते हुए खाना बाहर से ही लेते आना,
मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं…
पति-पत्नी से ,
सारा दिन तुम घर पर ही रहती हो, करती ही क्या हो …??
आराम ही तो फरमाती हो… !
इतना कहकर पति श्री फोन काट देते है….
पत्नी थोड़ा सोच में पड़ कर , गुस्से में लग रहे थे बहुत…
क्या करू अब… ??
खाना बनाऊं या नहीं..
पता नहीं खाना लाएंगे या नहीं ??
पत्नी थोड़ा सोचने के बाद, मैं ही कुछ झट-पट बना लेती हूं,
क्यूं ना बिरयानी ही बना लूं।
कुछ देर में बिरयानी बन जाती है और पति श्री के भी घर पहुंचने का समय लगभग हो ही जाता है।
पति घर पहुंच कर, खाना बनाई हो ??
पत्नी घबराते हुए, हां जी बिरयानी बना ली।
पति- तो फिर मझे फोन क्यो किया था ??
इतनी जल्दी तुम्हारी तबियत भी ठीक हो गई..अरे वाह
ताना मारते हुए, थक जाती होगी ना तुम दिन भर आराम करते-करते।
पत्नी- आराम हम्म्म… सही कहा आपने।
आराम ही तो करती हूं।
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चलिए, आप मुंह-हाथ धो लीजिऐ… खाना तैयार ही है।
पति मुंह-हाथ धोकर खाने के टेबल पर आता है जहां पेहले से ही वो उनके आने का इंतजार कर रही थी।
फिर वो खाना लगा देती है , वो दोनो ही खाना खाने लगते है।
खाना खाते समय उसके मन में ख्याल आता है कि अब तो कुछ करना ही पड़ेगा, क्या होती है घर में औरत की अहमियत ये समझाना ही पड़ेगा…
अगले दिन देर तक वो सोती रही, एक उसके ना उठने से सभी सोते रहे, फिर आठ बजने ही वाले थे कि वो उठ गई और नहाने चली गई..
फिर जब उनकी आँख खुली तो समय देखा, ऑफिस का समय लगभग हो ही चुका था…
प्रिया, प्रिया… गुस्से से चिल्लाते हुए बुलाने लगे,
आज तुमने मुझे उठाया क्यो नहीं ??
तुम जानती थी ना, आठ बजे मेरी जरूरी मिटिंग थी और आज बच्चों का स्कूल भी छूट गया…
और ये क्या सारा घर बिखरा पड़ा है, तुमने अभी तक नाश्ता भी नहीं बनाया और तो और पूजा भी नहीं की अब तक …!
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कौन करेगा ये सब …??
मैं यहां तुमसे बात कर रहा हूं प्रिया…
और तुम हो कि सुबह-सुबह अपने श्रृंगार में लगी हो,,,,
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प्रिया- हां तुमने ही तो कहा था,,,,
मैं करती ही क्या हूं ??
बस सारा दिन आराम ही तो करती हूं ,,,
ये सब कुछ खुद-ब-खुद हो जाता है ….
अब ऐसे क्या देख रहे हो मुझे,,,??
कहकर प्रिया चली जाती है बाहर और शाम को घर लौटती है और देखती है कि सारा घर बिखरा पड़ा है।
पति- आ गई मैडम घूम कर,,,
प्रिया- हां जी।
पति- ये सब काम कौन करेगा,
प्रिया- काम कहां है ये तो आराम है ना ?? मुझे इसे करने के पैसे नहीं मिलते।
आपकी नजर में तो सिर्फ पैसे कमाने को ही काम कहते है ना ??
अगर काम के बदले पैसे कमाने को ही काम कहते है तो ठीक है,,,
आज से मेरी भी सैलरी फिक्स कर देना,,,
हफ्ते में कितने दिन वरकिंग( काम करने वाले) होंगे ये डिटेल(विस्तार) में मेंशन(बताना) कर देना,,,
तीज-त्यौहार की छुट्टी भी अलग रख देना,,,
बिना काम किए त्यौहार कैसे होते है मुझे भी है देखना,,,
आठ घंटे काम करने के बाद बाकी के दस घंटों का ऑवर टाॅइम करने का हिसाब भी कर लेना,,,,
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ऐसे क्या देख रहे है, चलिए सो जाते है, सुबह से नई ड्यूटी करनी है ना ,,,,,आईए
वो चुप-चाप बस प्रिया की बातें सुन रहे थे और बस उसे देख रहे थे और उसकी बातों को समझने की कोशिश कर रहे थे।
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प्रिया लाइट बंद कर बैड पर सो जाती है और वो भी बैड पर आकर लेट जाते है फिर सुबह की पूरी हुई घटना को याद यकरते है और उन्हें इस बात का एहसास हो जाता है कि औरतो के बिना घर, घर नहीं होता बस एक मकान होता है।
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सुबह उठ कर वो बिना कुछ कहे प्रिया को गले लगा लेते है और अपनी गलती के लिए माफी मांगते है और साथ ही आज प्रिया के लिए अपने हाथों से चाय बना कर लाते है।
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इस तरह से प्रिया अपनी और घर में रहने वाली सभी औरतो की अहमियत का एहसास कराती है।
– सुजाता भाटिया