औरत इधर से भी बदनाम और उधर से भी
जिसतरह मत्स्यगंधा से निकल सत्यवती
और उनकी अम्बिके-अम्बालिके
कठपुतली भर रह गयी….
या गंगा भी करती रहीं पुत्रों के तर्पण
वो तस्लीमा ही निर्वासिता क्यों ?
महुआ घटवारिन का दोष क्या ?
ताजमहल में ही क्यों कैद ‘मुमताज़’ ?
यशोधरा की क्या गलती थी ?
कुंती क्यों, मरियम भी तो कुँवारी माँ थी ?
जात-परजात उन्हीं के हिस्से ?
हो घर-बार, या कोठा-कोठा भी,
औरत इधर से भी बदनाम
और उधर से भी….