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24 Jul 2023 · 1 min read

*औरतों को करते निवस्त्र है*

औरतों को करते निवस्त्र है
***********************

मूर्ति को पहना रहे वस्त्र है,
औरतों को करते निवस्त्र हैँ।

बात करें भारत वर्ष महागुरु,
स्त्री खिलाफ उठाते शस्त्र हैँ।

औरतें हर कोने मे असुरक्षित,
हर पहर पढ़ते धर्म के मंत्र हैँ।

महिला दिवस पर ही क़सीदे,
बाकी दिन उल्टे पुल्टे यंत्र हैँ।

सफेदपोश में बसते हैँ दरिंदे,
दूषित सारा का सारा तंत्र है।

औरत तेरी सदा यही कहानी,
यही तो भारतीय लोकतंत्र है।

मनसीरत चाहे मक्का काशी,
नारी का नहीं कोइ जनतंत्र है।
***********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
156 Views
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