औचित्य ( लघुकथा)
औचित्य
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फोन की घंटी बजने पर जब पुष्पा जी ने फोन उठाया तो दूसरी तरफ़ से आवाज़ आई, नमस्ते मैडम, मैं कमला भंडारी बोल रही हूँ । आज मैंने आपको विशेष प्रयोजन के लिए फोन किया है।
पुष्पा ने कहा, “बताइए क्या बात है? मैं तो सदैव तैयार रहती हूँ ,लोगों की सेवा करने के लिए। विशेष रूप से महिलाओं की समस्या के निराकरण के लिए।”
कमला भंडारी बोलीं “नहीं ऐसी कोई समस्या नहीं है,दर असल आज मैंने आपको एक खुशखबरी देने के लिए फोन किया है।”
“अरे वाह! ये तो बड़ी अच्छी बात है। बताइए क्या खुशखबरी है।”
कमला जी ने बताया, हमारी ‘महिला एवं बालिका उत्थान समिति’ ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आपको सम्मानित करने का निर्णय लिया है। कृपया आप 8 मार्च को ‘अशोका ग्रांड होटल’ के सभागार में 10 बजे प्रातः अवश्य पधारें। आपने समाज में महिलाओं और बालिकाओं के लिए जो काम किया है,वह नमनीय है।
पुष्पा ने कहा, ठीक है। मैं आ जाऊँगी, अब और ज्यादा प्रशंसा की आवश्यकता नहीं।
8 मार्च को 10 बजे जब पुष्पा जी अशोका ग्रांड होटल के सभागार में पहुँची तो वहाँ पर मुख्य अतिथि के रूप में पड़ोस की ही कोठी में रहने वाले मिस्टर विश्वास जी उपस्थित थे, जो एक रिटायर्ड आई ए एस ऑफिसर थे।
उनके घर में आए दिन बहू के साथ लड़ाई-झगड़ा होता रहता था।
कई बार पुष्पा जी ने स्वयं मिस्टर विश्वास को बहू के साथ झगड़ते देखा था और उन्हें समझाने की कोशिश भी की थी।
पुष्पा जी चुपचाप उस कार्यक्रम से बिना किसी को बताए अपने घर चली आईं, “यह सोचते हुए कि जो व्यक्ति स्वयं औरतों की इज्जत नहीं करता,उसके हाथों सम्मानित होना अपमान के अतिरिक्त और कुछ नहीं।”
डाॅ बिपिन पाण्डेय