औकात
तनिक भी नहीं है रूआब
जाने कैसा है ये गुलाब,
इठलाते हैं, वो अपने ‘शक्ल- ओ -नाम’ पर
जिसने बनाई नहीं, ढेला भर भी औकात
तुम इन सब की नवाबी झाड़ दो गुलाब
तनिक भी नहीं है रूआब
जाने कैसा है ये गुलाब,
इठलाते हैं, वो अपने ‘शक्ल- ओ -नाम’ पर
जिसने बनाई नहीं, ढेला भर भी औकात
तुम इन सब की नवाबी झाड़ दो गुलाब