औकात पर न जा
उलझे से रहते है, मेरे रिश्ते आजकल
इनकी वजहों में छुपी निकात पे न जा,
मुमकिन नही इनको बेहतर बनाए रखना,
है तंग कितनों से मेरे तालुकात पे ना जा।
@साहित्य गौरव
उलझे से रहते है, मेरे रिश्ते आजकल
इनकी वजहों में छुपी निकात पे न जा,
मुमकिन नही इनको बेहतर बनाए रखना,
है तंग कितनों से मेरे तालुकात पे ना जा।
@साहित्य गौरव