ओ हमार आलिया
ओ हमार आलिया
काहे जी चुरा लिया
क्यों झलक दिखाइके
काहे जी लगा लिया
खत लिखत, व्यथा कहत
तोसे प्रेम पा लिया
चारवा समझि तुझे
लालुआ भी खा लिया
मोहजाल तोहरा
मैँ खुदा को पा लिया
जाने नाहि प्यार तू
क्यों कहे फंसा लिया
•••
ओ हमार आलिया
काहे जी चुरा लिया
क्यों झलक दिखाइके
काहे जी लगा लिया
खत लिखत, व्यथा कहत
तोसे प्रेम पा लिया
चारवा समझि तुझे
लालुआ भी खा लिया
मोहजाल तोहरा
मैँ खुदा को पा लिया
जाने नाहि प्यार तू
क्यों कहे फंसा लिया
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