ओ सूरज चाचा ! कुछ तो रहम करो ।
ओ सूरज चाचा !
काहे इतना गरम हो रहे हो ?
झगड़ा हुआ चाची से ,
और क्रोध तुम हम पर कर रहे हो ।
आखिर क्यों हम निर्दोष धरती वासियों पर,
बेवजह आग अपनी उगल रहे हो ।
अब बस भी करो ,क्रोध अपना शांत करो ,
अपना रक्त चाप भी तुम बढ़ा रहे हो ।
सुलह करो चाची संग ,और झगड़ा साफ करो,
बहुत मेहरबानी होगी हम पर रहम करते हो ।
अब जल्दी से अपने टेंपरेचर का वॉल्यूम कम करो ,
बहुत दुआएं देंगे तुम्हें अगर तुम इतनी ,
मेहरबानी हम पर करते हो ।