ओ साथी मन के
ओ साथी मन के
ओ साथी मन के ,बिना तेरे जीवन अधूरे हो।
तू मेरी जान हो, तू मेरी जहान हो।
तू आए तो जीवन महके,
तू गाए तो खुशियां छलके।
ओ साथी मन के ,बिना तेरे जीवन अधूरे हो।
जब से देखी तेरी आंखे,
दिल मचलने लगी है।
अब तो इस संसार में,
खुशियां सजने लगी है।
ओ साथी मन के ,बिना तेरे जीवन अधूरे हो।
प्यार की इस बंधन में बंधे हो।
दिल की धड़कन से जुड़ी हो।
तेरी खुशबू , तेरी सांसे,,,
तेरी चूड़ी ,तेरी बिंदिया,,,
अब निखरने लगी हो।
ओ साथी मन के , बिना तेरे जीवन अधूरे हो।
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रचनाकार कवि डीजेन्द्र क़ुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना, बिलाईगढ़, बलौदाबाजार (छ. ग.)
8120587822