ओ रे घुमक्कड़, लौट लौट l
मुक्तक
ओ रे घुमक्कड़, लौट लौट l
हवा में होती, खोट खोट ll
अटकन अडचन और भटकन l
सहज चमके है, चोट चोट ll
दोहा
घुमक्कड़ लौट लौट ले, हवा रखे है खोट l
अटकन भटकन होत है, सहज चमकती चोट ll
अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न
मुक्तक
ओ रे घुमक्कड़, लौट लौट l
हवा में होती, खोट खोट ll
अटकन अडचन और भटकन l
सहज चमके है, चोट चोट ll
दोहा
घुमक्कड़ लौट लौट ले, हवा रखे है खोट l
अटकन भटकन होत है, सहज चमकती चोट ll
अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न