ओ री गौरैया
१५/०५/२०२४
ओ गौरैया
ओ री गौरैया
कहाँ छुप गई मेरी चिरिया
क्या उड़ गई संग पुरवैया
तरसे देखन को तुझे ये अखियाँ
सूनी पड़ी बगैर तेरे ये बगिया
छोड़ अब खेलना ये छिपमछैया
क्या तुझे भी डाटे हैं तेरी मैया
कह दें उसे ,बुलाता है तेरा भैया
ढूँढे तुझको ये सारी तितलियाँ
आवाज़ देकर पुकारे हमारी गैया
अब न सताएँगे, कहती सारी सखियाँ
दाना पानी भी रखेंगे ओ मेरी गौरैया
क्यों बना दी तूने ये भूल भुलैया
स्वागत में खड़े हम डाले गल बैया
आजा गौरैया, अब तो तू आजा गौरैया
कहाँ छिप गई ओ प्यारी सोन चिरैया
कहाँ भूल गई रस्ता , आजा गौरैया
कहाँ छिप गई मेरी प्यारी चिरिया
स्वरचित और मौलिक
उषा गुप्ता, इंदौर