ओ मेरे हमदर्द
ओ मेरे हमदर्द वहाँ हो , नियमों का तेरे द्वारा पालन।
तू रहे वहाँ सुखी हमेशा, आबाद हो तेरा घर आँगन।।
ओ मेरे हमदर्द———————-।।
रखना इज्जत सदा तू वहाँ, बाबुल की पगड़ी की।
रखना शान हमेशा वहाँ तू ,भाई की चुनड़ी की।।
रखना याद हमेशा वहाँ , माँ की ममता का आँचल।
ओ मेरे हमदर्द —————————।।
कम नहीं हो कभी हमदर्द , तेरी इस मेहन्दी का रंग।
रहना हमेशा वहाँ खुशी तू , अपने साजन के संग।।
रखना खुश सबको वहाँ तू ,और महका वहाँ चमन।
ओ मेरे हमदर्द —————————–।।
करना रक्षा वहाँ तू हमेशा, अपने इस सिंदूर की।
नहीं कम हो कभी ज्योति वहाँ, तेरे इस नूर की।।
रखना हमेशा तू वहाँ, अपनी नियत- दिल पावन।
ओ मेरे हमदर्द —————————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार –
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)