ओ माँ, ऐ माँ, ………………..|गीत| “मनोज कुमार”
ओ माँ, ऐ माँ, मेरी माँ, ओ माँ
मेरी किस्मत का खजाना तू ही तू ही माँ
इन आँखों की खुशियाँ रहमत तू ही माँ
ओ माँ, ऐ माँ, मेरी माँ, ओ माँ
ओ माँ,……………………
कर्ज तुम्हारा माँ चुका सकते नही
मरते दम तक तुझे भुला सकते नही
ढक ले फिर आचल से ले गोद में माँ
कितना भी हो जाऊँ बड़ा हूँ बच्चा माँ
ओ माँ,……………………
तेरी ममता और आशीष हम चाहें
सदा करूँ तेरी सेवा माँ दिल चाहे
तू पौंछें अश्कों को जब जब रोया माँ
तुझे नही ये दर्द मुझे है कहती माँ
ओ माँ,……………………
तुझे देख लूँ सब दूर टेंशन हो जाती
तेरे क़दमों में माँ जन्नत मिल जाती
दुःख समेटे लाखों दिल में हँसती माँ
प्यार करे हमसे तो जब भी रोये माँ
ओ माँ,……………………
जब जब गिरा माँ तूने ही तो थामा है
हमें लगा गले से प्यार में तूने बाँधा है
पिता छत हैं घर की तो तू छाया माँ
हों सपने सच बच्चों के दुआ करती माँ
ओ माँ,……………………
ईश्वर का है रूप तू माँ ही पूजा है
हर रिश्ते को तुमसे जीना सीखा है
तू करवा देती हठ पूरी पापा से माँ
मेरी चोटों का मरहम तू बन जाती माँ
ओ माँ,……………………
शबनम की बूँदों जैसे तू घुल जाती
अपनी माँ पहचान हमें तू दे जाती
चुभे पैर में काँटा जब भी रोये माँ
हर तकलीफ उठा लेती बच्चों की माँ
ओ माँ,……………………
तू नैनो का तारा तू ही ज्योति है
अँधेरी राहें तू माँ रोशन करती है
बस देखे तू ही बाट रातों रातों माँ
सब सो जाते जगती तू ही प्यारी माँ
ओ माँ,……………………
शब्द नही अब तेरा वर्णन होता ना
तू संग में होती तो जन्नत खोता ना
तू धीरज रख उत्साहित भी करती माँ
गंगा सी बन जीवन अमृत देती माँ
ओ माँ,……………………
“मनोज कुमार”