ओ परदेसी तेरे गांव ने बुलाया,
ओ परदेसी तेरे गांव ने बुलाया,
देखो ये संदेशा हैं भिजवाया ।
लौट गए सब पर्व सुहाने,
लेकिन तू ना लौट के आया ।।
जीवन को तूने अपने गंवाया,
कमा कर ले कागज को लाया ।
जवानी तूने कमाने में लगा दी,
देखो अब बुढ़ापा आया ।।
जीवन है अनमोल समझ ले,
जितनी भी मिले खुशियां भर ले,
खुद से भी कभी तू मिल ले,
खुद को है क्यूं तुमने भुलाया,
दर्द को अपने छुपाता आया,
जिसको तू सदा भुलाता आया ।
दौलत का तूफान कहां से,
तुझको आज कहां पे लाया ।।
गांव परिवार से तुझको छुड़ाया,
हर कदम पे तूने सिर्फ दुख ही पाया ।
सुख की थी अभिलाषा मन में,
लेकिन कभी तो सुख नही पाया ।।