*”ओ पथिक”*
“ओ पथिक”
चलते चलते जब पाँव थक कर चूर हो जाए ,
फिर भी कदम कभी रुक नहीं पाते।
काज कोई दुश्कर नही ,मार्ग में कंटक शूल चुभे डटकर आगे ही बढ़ते जाते।
थका हुआ तन पर मन में उमंग ,जोश कम नही कर पाते।
असीम कृपा शक्ति भुजाओं में ,एक जुनून लिए आगे ही बढ़ते जाते।
मेहनत से थकान महसूस होती ,कठिन परिश्रम कर के मेहनत ही रंग लाते।
मेहनत का मीठा फल ,नई ऊर्जा चेतना स्फूर्ति दे जाते।
थकान को पराजित कर ,नई ताकत से खड़े हो नया संदेश दे जाते।
रे ..! चल मन ,थक मत ,ऐ पथिक तू बढ़े चल बढ़े चल ..हार न मानना जब तक मुकाम हासिल न कर जाते।
शशिकला व्यास शिल्पी ✍️🌹