ओ पंथी
राह है दूर तू भी अकेला , मैं भी अकेली
साथ मेरे न तेरे है कोई , सखा सहेली
ओ सुन जरा दूर जाते पंथी , साथ ले ले
शोक संताप मन के तू , कर दूर सारे ले
गीष्म से हो शुष्क अधर , नेह से सिक्त करूँ
बात कर प्यार की , भाई चारा अनुरक्त करूँ
मौन है चर अचर जगत , मौन है विहग वृन्द
पथ को बना सुगम , मैत्री के लिखे छन्द