ओ नारी, क्यों तंग हो पतंग हो
ओ नारी, क्यों तंग हो पतंग हो
लहराती पतंग हो,
कटने वाली पतंग हो,
कटी पतंग हो ।
एक बात बताओ, ओ नारी,
क्यों लिए दासत्व के रंग रंग हो,
कैसी चाहत, जीवन शांति भंग भंग हो,
क्यों इतनी तंग हो,
क्यों पतंग हो,
क्यों न अपनी मृदंग हो,
उडती उमंग हो,
एक जरूरी जीवन जंग हो ।।
अरविन्द व्यास “प्यास”