ओ जोगी ध्यान से सुन अब तुझको मे बतलाता हूँ।
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ओ जोगी ध्यान से सुन अब तुझको मे बतलाता हूँ।
किस बात पर अकड़ रहा तुझको भी समझाता हूँ।
अपनापन बहुत निभाया तूने रजनी दिवस मनाया है।
अविनय हमें शिवकर नहीं यह बात भी बतलाता हूँ।
राम राम के नारों से तुम यह देश जगाने आये हो।
तुम वोटरो से बोतल और बोटी छुडा नहीं पाये हो।
जात पात मे बटते हिंदू को अब तुम जगाने आये थे।
राम की चोखट से भी अपनी सीट नही लापाये हो।
लीलाधर चौबिसा (अनिल)
चित्तौड़गढ़ 9829246588