ओ अदावत रे अदावत रे l
ओ अदावत रे अदावत रे l
आशिक को न दे दावत रे ll
न पिला नफरतों का अमृत रे l
न कर एसी, खिदमत रे ll
दिल मिलन, खुशियाँ लाये है l
नहीं पैदा कर, खिलाफत रे ll
जीवन मानवता मन्दिर है l
ना रे बना, बुरी हालत रे ll
तू गायब रह, जीवन जीवन l
प्यास को ना हो जरूरत रे ll
ओ अदावत रे अदावत रे l
आशिक को न दे दावत रे ll
अरविन्द व्यास “प्यास”