ओर कितने रोहित वेमुला
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भारत में लम्बे समय तक शिक्षा-दिक्षा पर वर्ग विशेष का एकाधिकार रहा। समाज के बहुत बड़े भाग को छल-बल करके, षड़यंत्र रच के शिक्षा से वंचित रखा। वह वर्ग गलती से कोई शिक्षा-दिक्षा से संबंधित प्रसंग या कोई हुनर जान लेते तो उनके कानों में पिंघला शीशा या खोलता तेल डालने के अनेक उदाहरण हैं। फूले-शाहु-अम्बेडकर के अथक प्रयासों से वंचित वर्ग की पंहुच शिक्षा-दिक्षा तक हो पाई। वही पिंघला शीशा शुद्र के कानों में डालने वालों के अनुगामी, श्रेष्ठ धनुर्धर का अंगूठा काटने वालों के वंशज आज भी नहीं चाहते कि अनुसूचित जाति/जन जाति व पिछड़े वर्ग के लोग शिक्षित होकर सम्मानित जीवन यापन करें। इसलिए तरह-तरह के ओछे हथकंडे अपनाए कर उन्हें शिक्षा से दूर करने के प्रयास किए जाते हैं।
उन्हें विद्यालयों में ओछी मानसिकता के अध्यापकों की अमानवीय हरकतों का शिकार होना पड़ता है। अनुसूचित जाति/जन जाति के बहुत से छात्र-छात्राएं विद्यालय छोड़ जाते हैं। अत्यधिक विद्यालय की शिक्षा के बाद उच्च शिक्षा प्राप्त करने में नाकाम रहते हैं। कुछ एक जैसे-तैसे विद्यालयी शिक्षा पूरी करके महाविद्यालय व विश्वविद्यालय में प्रवेश लेते हैं। उन्हें स्वर्ण छात्रों की रैगिंग व अन्य यातनाओं को झेलना पड़ता है। विश्वविद्यालयों के ब्राह्मणवादी सोच के प्रोफेसर भेदभाव करने में द्रौण को मात देने की होड़ में शुमार हैं। परीक्षा में अंक भी जाति देखकर दिए जाते हैं।
दीपा पी. मोहनन ने 11 दिनों के बाद 8 नवंबर, 2021 को अपनी भूख हड़ताल ख़त्म कर दी थी। यह हड़ताल इंटरनेशनल एंड इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फ़ॉर नैनोसाइंस एंड नैनो टेक्नोलॉजी (IIUCNN) के निदेशक, नंदकुमार कलारिकल की ओर से उन्हें जाति-आधारित भेदभाव का निशाना बनाने के विरोध में थी, जिनकी वजह से उन्हें अपना पीएच.डी. पूरा करने में आधे दशक से ज़्यादा का समय लग गया।
सुगत भारत पदघन हिंगोली जिले का रहने वाला है और अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के लिए मुंबई आए हैं। वह किंग एडवर्ड मेमोरियल (केईएम) अस्पताल के ऑक्यूपेशनल थेरेपी स्कूल एंड सेंटर में पढ़ रहा है। उसका आरोप है कि तीन वर्ष से दो वार्डन सहित ब्राह्मणवादी सोच के सहपाठी व अध्यापक “कुल सोलह आरोपी” जाति सूचक गालियां देकर उसका मानसिक उत्पीड़न कर रहे हैं।
दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर के छात्र दीपक कुमार अपने दो प्रोफेसरों द्वारा किए गए मानसिक उत्पीड़न से तंग आकर जहर खाने को मजबूर हो गया। दोनों प्रोफेसर के विरुद्ध Sc/St Act के तहत मामला दर्ज है। सरकारी रिकार्ड के मुताबिक अनुसूचित जाति/जन जाति व पिछड़े वर्ग के रोहित वेमुला, डेल्टा मेघवाल सहित 122 छात्र-छात्राओं ने आत्मदाह किया। जबकि वास्तविकता अलग है। अत्यधिक मामलों शिकायत तक दर्ज नहीं हो पाती। जो हादसा बनकर रह जाते हैं।
30 जनवरी 1989 को जन्मे हैदराबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय के अंबेडकर स्टूडेंट्स एशोसियेशन के छात्रनेता रोहित वेमुला व उनके सहयोगी छात्रों का आर. एस. एस. व बी. जे. पी. के छात्र संगठन ‘अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद’ के कुछ शरारती तत्वों से मामुली कहासुनी हुई। जो आम तौर पर छात्र संगठनों में हो जाती हैं। जिसकी शिकायत स्थानीय सांसद बंडारु दत्तात्रेय से की, जो उस समय केन्द्रीय राज्यमंत्री भी थे। बंडारु दत्तात्रेय ने अपने लैटर पैड पर केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी को शिकायत की। स्मृति ईरानी के हस्ताक्षेप से रोहित वेमुला व उसके अन्य चार साथी हॉस्टल से निलंबित कर दिए। जिन्हें जनवरी 2016 की ठंडी रात खुले व्यतीत करनी पड़ी। उसकी अनुदान राशि रोक दी गई। उसका इतना उत्पीड़न किया गया। जिससे वह टूट गया। परेशान होकर 17 जनवरी 2016 को 26 वर्ष की आयु में अपनी जीवन लीला समाप्त करके, इस भेदभावकारी व्यवस्था को सदा के लिए अलविदा कह गया। जिसका आक्रोश पूरे भारत में फैल गया। जेएनयू में एक दिन की हड़ताल की गई। देश के प्रत्येक विश्वविद्यालय में विरोध प्रदर्शन हुए। संसद में जिस पर दो दिन तक बहस चली। जिसकी चर्चा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हुई। बाबासाहब डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ के वार्षिक में पहुंचे तो उन्होंने दो छात्रों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। जिन्होंने रोहित वेमुला अमर रहे, बाबासाहब अमर रहे, नरेंद्र मोदी गो बैक व नरेंद्र मोदी मुर्दाबाद के नारे लगाकर विरोध जताया। मानव संसाधन मंत्री जहाँ गई, छात्र संगठनों द्वारा उसका विरोध किया गया। विरोध को देखते हुए। स्मृति ईरानी का विभाग बदल कर, उसे कपड़ा मंत्री बनाया गया।
रोहित वेमुला के अंतिम शब्द “मेरा जन्म ही एक भयंकर हादसा है” से अंदाजा लगाया जा सकता है कि हालात कितने भयावह हैं। रोहित वेमुला को गए छह वर्ष हो गए। इन 06 वर्ष में सरकारी आंकड़े के अनुसार 122 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं। सवाल यह उठता है कि अभी और कितने रोहित वेमुला ब्राह्मणवादी व्यवस्था की चक्की में पीसे जाएंगे। इन रोहित वेमुलाओं के हत्यारे कब तक पद-प्रतिष्ठा से नवाजे जाएंगे। इन हृदय विदारक हादसों को रोकने के लिए, अनुसूचित जाति/जन जाति के लोगों ने अपनी व्यवस्था मजबूत करके, विद्यालय, महाविद्यालय व विश्वविद्यालय स्थापित करने होंगे। तभी अनुसूचित जाति/जन जाति के विद्यार्थी उच्च शिक्षा प्राप्त कर पाएंगे। श्रमण भारत का निर्माण कर पाएंगे।
-विनोद सिल्ला