Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Nov 2018 · 2 min read

साहित्यकार ओमप्रकाश वाल्मीकि की याद में लिखी गई एक कविता “ओमप्रकाश”

30 जून 1950 को
मुज़फ्फरनगर के गाँव बरला में
पैदा होते ही बन गया था
मैं एक विशेष वर्ग का बालक
लग गया था ठप्पा मुझपे चुहड़े और चमार का।
पढ़ने भेजा गया मुझे भी स्कूल
यहीं की थी मेरे पिता छोटन ने
व्यवस्था के खिलाफ एक भूल
जब तुमने मेरी इच्छाओं को दबाया था
हेड मास्टर साहब।
मैंने भी कर लिया था प्रण तभी से ये कि
मैं दिखलाऊंगा तुम्हें
तुमसे बड़ा बन कर।
मेरी माँ ने जूठन को ठुकराकर
दिया था मुझे वो साहस
जिसे मैं बन पाया
बालक मुंशी से ओमप्रकाश।

मैंने जैसा जीवन जिया उकेरा उसे
शब्दों में ‘जूठन’ के रूप में
होकर अनुवादित नौ से ज्यादा
देशी व विदेशी भाषाओं में
‘जूठन’ ने फैलाया समूचे विश्व में
दलित साहित्य का प्रकाश
मैं हूँ सफाई कर्मचारियों की समस्याओं
पर ‘सफाई देवता’ लिखने वाला ओमप्रकाश।

आज मेरी रचनाओं ने खींच दी हैं
उनके सामने एक बड़ी लकीर।
पढ़ते है उनके बच्चे भी
उनके पुरखों के द्वारा किये गए
अमानवीय व्यवहार की कहानियां
मेरी किताबों में,
विश्विद्यालय के पाठ्यक्रम में
होने को परीक्षा में अच्छे अंको से पास
मैं हूँ दलित साहित्य का महानायक ओमप्रकाश।

‘बस्स ! बहुत हो चुका’, ‘अब और नही’
सहेंगे हम ‘सदियों का सन्ताप’
मेरी रचना ‘ठाकुर का कुँआ’ ने कर दिया
भारतीय ग्रामीण व्यवस्था का पर्दाफाश
मैं हूँ ‘घुसपैठिये’ और ‘दलित साहित्य का सौन्दर्यशास्त्र’
रचने वाला ओमप्रकाश।

मेरी देह 17 नवम्बर 2013 को
छोड़कर चली गयी यह संसार
मगर मेरे बच्चे ‘नरेन्द्र’
तुम व्यर्थ मत जाने देना
मेरा साहित्य रूपी भंडार
जाओ घर-घर फैलाओ इस साहित्य रूपी ज्ञानपुंज को
बदलो उनके जीवन को जो जी रहे हैं,
जीवन अभी तक बेकार
एक बार यदि बाबा के विचारों को पढ़ गये वे लोग
तो कोई भी कुरीति न फ़टकेगी उनके पास
मैं हूँ दलितों में ऊर्जा भरने वाला ओमप्रकाश।

कितनी भी कर लो तुम कोशिशें
ऐ मनुवादियों
हटा दो मेरी भावनाओं को शिक्षालयों से
कभी न कर पाओगे तुम मेरे विचारों की लाश
मेरी साहित्यिक जाग्रति ने पैदा कर दिए है
असंख्य ओमप्रकाश।

1 Like · 4 Comments · 843 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जा रहे हो तुम अपने धाम गणपति
जा रहे हो तुम अपने धाम गणपति
विशाल शुक्ल
नज़र से क्यों कोई घायल नहीं है...?
नज़र से क्यों कोई घायल नहीं है...?
पंकज परिंदा
* खिल उठती चंपा *
* खिल उठती चंपा *
surenderpal vaidya
सम्बन्ध
सम्बन्ध
Shaily
मां की महत्ता
मां की महत्ता
Mangilal 713
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
नृत्य किसी भी गीत और संस्कृति के बोल पर आधारित भावना से ओतप्
नृत्य किसी भी गीत और संस्कृति के बोल पर आधारित भावना से ओतप्
Rj Anand Prajapati
इश्क़
इश्क़
हिमांशु Kulshrestha
नाजुक -सी लड़की
नाजुक -सी लड़की
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
*** पुद्दुचेरी की सागर लहरें...! ***
*** पुद्दुचेरी की सागर लहरें...! ***
VEDANTA PATEL
कू कू करती कोयल
कू कू करती कोयल
Mohan Pandey
सारे ही चेहरे कातिल है।
सारे ही चेहरे कातिल है।
Taj Mohammad
खता खतों की नहीं थीं , लम्हों की थी ,
खता खतों की नहीं थीं , लम्हों की थी ,
Manju sagar
"फागुन में"
Dr. Kishan tandon kranti
मदांध सत्ता को तब आती है समझ, जब विवेकी जनता देती है सबक़। मि
मदांध सत्ता को तब आती है समझ, जब विवेकी जनता देती है सबक़। मि
*प्रणय*
इंडिया ने परचम लहराया दुनियां में बेकार गया।
इंडिया ने परचम लहराया दुनियां में बेकार गया।
सत्य कुमार प्रेमी
FB68 còn nổi bật với hệ thống livestream các sự kiện thể tha
FB68 còn nổi bật với hệ thống livestream các sự kiện thể tha
Fb68
जो हमारे ना हुए कैसे तुम्हारे होंगे।
जो हमारे ना हुए कैसे तुम्हारे होंगे।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
काँच और पत्थर
काँच और पत्थर
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
मेरी मजबूरी को बेवफाई का नाम न दे,
मेरी मजबूरी को बेवफाई का नाम न दे,
Priya princess panwar
आवो रे मिलकर पौधें लगायें हम
आवो रे मिलकर पौधें लगायें हम
gurudeenverma198
करते सच से सामना, दिल में रखते चोर।
करते सच से सामना, दिल में रखते चोर।
Suryakant Dwivedi
आडम्बरी पाखंड
आडम्बरी पाखंड
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
घडी के काटोंपर आज ,
घडी के काटोंपर आज ,
Manisha Wandhare
आज़ यूं जो तुम इतने इतरा रहे हो...
आज़ यूं जो तुम इतने इतरा रहे हो...
Keshav kishor Kumar
ख़ामोशी को कभी कमजोरी ना समझना, ये तो तूफ़ान लाती है।।
ख़ामोशी को कभी कमजोरी ना समझना, ये तो तूफ़ान लाती है।।
Lokesh Sharma
पहचान
पहचान
Dr.Priya Soni Khare
लाख़ ज़ख्म हो दिल में,
लाख़ ज़ख्म हो दिल में,
पूर्वार्थ
तिमिर है घनेरा
तिमिर है घनेरा
Satish Srijan
3150.*पूर्णिका*
3150.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...