Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Feb 2024 · 2 min read

“ओट पर्दे की”

ओट की आड़ में एक प्रीत की मुस्कान,
देख रहा था चंद्र चकोर को ,एक ही चितवन।
पर्दा शब्द ही नही, इसके भाव है ,
दुल्हन करती है घूँघट ,चुनरी की आड़ से ।

बचपन मे माँ, बच्चों के कष्ट होने पर,
छिपा लेती है आसूं , आँचल के आड़ में।
आँखों के पर्दे है, जो होते हैं लिहाज,
चेहरे पर भी पर्दे हैं ,जो होते हैं समाज।

गलत जो कर्म करते हैं, उनके रूह पर पर्दा,
बदन को ढक कर चलते हैं ,ऐसा भी पर्दा।
मंच पर होता अभिनय है ,वो सच्चा नही होता,
पीछे क्या क्या होता है, आगे पड़ा पर्दा पड़ा होता।

बुरे विचार लिए मासूम ,बनकर फिरते है,
पर्दे के ओट में ,जरा भी न हिचकते हैं।
कभी पर्दे की आड़ में,छिपे होते है जज्बात,
कभी कितना भी हो पर्दा, लोग होते हैं बेपर्दा।

पर्दा कितना भी हो भारी,
अचानक हवा के झोकों से,गिर जाता है पर्दा।
एक ऐसा भी ,कला ओट सिखाती है,
बेपर्द होने से,जो सदा बचाती है।

ओट की आड़ से ,एक आवाज आती है,
जो बनी इज्जत को ,बचाती है।
अभी पर्दा न गिराओ,दास्तां बाकी है,
नया किरदार आएगा,जो नजरों को देखना बाकी है।

पर्दे के ओट में ,जाने कितने इरादे होते हैं,
जो पर्दे के ओट में,तमाशे करते हैं।
एक पर्दा बादलों का, जो सूर्य को ढकता है,
एक पर्दा घर पर,शान से,लटकता है।

एक पर्दा कभी तन को,ढकता है,
एक पर्दा कभी मन को ढकता है।
कुछ ऐसे पर्दे है ,जो घर मे छिपते है,
घुटन,आंसू,तड़प,पर्दे की ओट में जीते हैं।

गरीबी ऐसी होती है, जो बिन पर्दे के होते हैं,
कमाई कुछ ना होती है, वो थाली भी छिपाते है।
कही होती है जो ,सुंदर सी प्रियतमा,
नजर लग जाये ना ,खिड़की पे भी पर्दा है।

यह अंदाज बयां का पर्दा है, जो कविता को बना डाला।भाषा के पर्दे में रहते है शब्द, शब्दों के पर्दे में छिपे हैं अर्थ।
एक पर्दा जीवन के दफन मे,जो ढकता है मानव के तन में।।

लेखिका:- एकता श्रीवास्तव ✍️
प्रयागराज

Language: Hindi
1 Like · 196 Views
Books from Ekta chitrangini
View all

You may also like these posts

इल्जामों के घोडे
इल्जामों के घोडे
Kshma Urmila
🙅यक़ीन मानिए🙅
🙅यक़ीन मानिए🙅
*प्रणय*
वेदना
वेदना
उमा झा
मोबाइल फोन
मोबाइल फोन
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
छल ......
छल ......
sushil sarna
2746. *पूर्णिका*
2746. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
रात नहीं सपने बदलते हैं,
रात नहीं सपने बदलते हैं,
Ranjeet kumar patre
महल था ख़्वाबों का
महल था ख़्वाबों का
Dr fauzia Naseem shad
दिल के कोने में
दिल के कोने में
Surinder blackpen
"मेरा प्यार "
DrLakshman Jha Parimal
अंबर तारों से भरा, फिर भी काली रात।
अंबर तारों से भरा, फिर भी काली रात।
लक्ष्मी सिंह
छुपा सच
छुपा सच
Mahender Singh
कविता
कविता
Dr.Priya Soni Khare
“बारिश और ग़रीब की झोपड़ी”
“बारिश और ग़रीब की झोपड़ी”
Neeraj kumar Soni
प्रेरणा
प्रेरणा
Sunil Maheshwari
" गौर से "
Dr. Kishan tandon kranti
दुआए
दुआए
Shutisha Rajput
The Stage of Life
The Stage of Life
Deep Shikha
नियम पुराना
नियम पुराना
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
पर्व है ऐश्वर्य के प्रिय गान का।
पर्व है ऐश्वर्य के प्रिय गान का।
surenderpal vaidya
आज अकेले ही चलने दो।
आज अकेले ही चलने दो।
Kumar Kalhans
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
तिमिर घनेरा बिछा चतुर्दिक्रं,चमात्र इंजोर नहीं है
तिमिर घनेरा बिछा चतुर्दिक्रं,चमात्र इंजोर नहीं है
पूर्वार्थ
बुंदेली दोहे-फतूम (गरीबों की बनियान)
बुंदेली दोहे-फतूम (गरीबों की बनियान)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
किसी के प्रति बहुल प्रेम भी
किसी के प्रति बहुल प्रेम भी
Ajit Kumar "Karn"
काश तुम ये जान पाते...
काश तुम ये जान पाते...
डॉ.सीमा अग्रवाल
मुकादमा चल रहा है अब मेरा
मुकादमा चल रहा है अब मेरा
shabina. Naaz
कामवासना मन की चाहत है,आत्मा तो केवल जन्म मरण के बंधनों से म
कामवासना मन की चाहत है,आत्मा तो केवल जन्म मरण के बंधनों से म
Rj Anand Prajapati
इश्क का वहम
इश्क का वहम
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
Loading...