ओझल मनुआ मोय
बाबा बरहि लाऐ खरहि
पग सिख आँगन
मनुख दोष आ टागर
नमन तोँहै मातृधरा
ऐ भारत पकिस्तान धरि
युध्द विराम आ प्रश्नचिन्ह
तँए मोर ओझल मनुआ
जन्म नै पुन्हे ,दिऔ राघव
प्राचीन वर्तमान ठाह
सभहक नोर
नित नभ,प्राण सकट
मुदा
सबक आस नुका
विहिर विरन देस धरि
सबहक टकटकी
ध्वस्त कालिक छाह
वेदान्त पिपर गाछ
बुोद्धिक शांति दुत
छने ठार
मुदा
अखनो
माटि कल जोडि
टटका मँचान तलक
आछ दिप जरैए
तीरभुक्ति गंग जतह
अखनो किछ वानर
पाथर मोह ओह पाखर
भविष्य प्राकृत पूँजन
टेहिर भविष्य ताँकल
डेगे आहै तोर डेग
मुदा
हम्मे आब
रख खोदि,गोरे गोर
धर्म बड़े आ कर्म
ताहेँ नापिछ,थोड़े थोड़
युध्द विराम आ प्रश्नचिन्ह
डग- मग कतहुँ डोलैए
काहै मनुआ मोर
—–श्रीहर्ष आचार्य