ओछी राजनीती
“अफ़सोस है की हम इतने बेशर्म हो गए
भारतीय होने से पहले हिन्दू मुस्लमान हो गए !
जिधर देखो बस विरोध की ही आग है ,
चारों ओर फैले राजनीतिक जालसाज हैं !
हवा के रुख के साथ बदलते इनके मिजाज हैं ,
ये कल हिन्दू तो आज मुस्लमान हैं !
इतनी जल्दी तो गिरगिट भी रंग नई बदलते हैं ,
जितनी जल्दी ये भगवा से हरा हो जाते हैं !
अरे राजनीती की चकाचौंध में ये इतने अंधे हो जाते हैं !
की घुसपैठिओं को भी घर में रखने की सलाह दे डालते हैं !
घुसपैठियों के लिए मानवता याद आजाती है ?
जेनयू के लिए असहिष्णुता याद आजाती है ?
फ्रीडम ऑफ़ स्पीच के नाम पे अवार्ड वापसी गैंग आजाती है ?
आतंकी की लाश पे रोने के लिए पूरा
हुजूम उमड़ पड़ता है ?
एक त्यौहार मनाने के लिए दूसरा त्यौहार रोका जाता है ?
अरे देश को मतिभ्रस्ट करना बंद करो साहब ,
ये जनता है इसको सब कुछ समझ आता है !
और जिनको समझ नहीं आता है ,
उनको देश से बाहर का रास्ता दिखाया जाता है !
अब भी वक़्त है अपनी आँखे खोल लो ,
वन्देमातरम और जन गण मन बोलना सीख लो !
नहीं तो तुम्हारे अकल को ऐसा ठिकाने लगाएंगे ,
हिंदुस्तान से सीधे पाकिस्तान भेज के आएंगे !!”
( पूजा सिंह )