ज़िंदगी का स्टेशन
ज़िंदगी है
कि सुपरफास्ट ट्रेन
जो भागती ही जाती है।
सुबह के बाद सीधी
रात पर ब्रेक लगाती है।
छूट जाता है बीच में
“सुहानी शाम ” वाला स्टेशन
बिस्किट ,मट्ठी
इलायची की चाय वाला स्टेशन।
और नींद जब आंखों से
दूर होती जाती है,
जो छूट गयी शाम
बड़ी याद आती है।
धीरजा शर्मा