ऑगन में भी चहके – महकें ( गीत) जितेंद्र कमल आनंद
ऑगन में भी चहकें- महकें ।
अमृत भर गागर से छलकें ।।
अच्छाई को रोशन करके ।
नयी उमंगें मन में भरकर।
कमल वतन के इस उपवन में
खिले- खिले फूलों से महकें ।।
दीन- हीन हम उच्च शीर्ष पर
वरद हस्त निज निर्मल धरकर
प्रेम भाव पल- प्रति- पल रखके
उसके भी दिल में हम धडकें ।।
— जितेन्द्र कमल आनंद रामपुर उ प्र ३०-४-१७