Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 May 2024 · 1 min read

*ऑंखों के तुम निजी सचिव-से, चश्मा तुम्हें प्रणाम (गीत)*

ऑंखों के तुम निजी सचिव-से, चश्मा तुम्हें प्रणाम (गीत)
_______________________
ऑंखों के तुम निजी सचिव-से, चश्मा तुम्हें प्रणाम
1)
ऑंखों पर तुम टिके हुए हो, ऑंखें तुम पर टिकतीं
अगर न होते तुम तो ऑंखें, दो कौड़ी में बिकतीं
घर बाहर दफ्तर दुकान पर, आते हरदम काम
2)
बिना तुम्हारे ऑंखें पल में, अस्त-व्यस्त हो जातीं
अनजानों को छोड़ो अपनों, तक को जान न पातीं
जिनका तुम पढ़वातीं उनका, पढ़तीं ऑंखें नाम
3)
कल तक ऑंखें अपने दम पर, लिखती-पढ़ती रहतीं
अब ऑंखें निर्भर हैं तुम पर, जो कहते तुम कहतीं
जिस क्षण तुम उतरे ऑंखों से, ले लेतीं विश्राम
ऑंखों के तुम निजी सचिव-से, चश्मा तुम्हें प्रणाम
—————————————-
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

Language: Hindi
134 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

!! मैं उसको ढूंढ रहा हूँ !!
!! मैं उसको ढूंढ रहा हूँ !!
Chunnu Lal Gupta
*सोना-चॉंदी कह रहे, जो अक्षय भंडार (कुंडलिया)*
*सोना-चॉंदी कह रहे, जो अक्षय भंडार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मानव विध्वंसों की लीलायें
मानव विध्वंसों की लीलायें
DrLakshman Jha Parimal
दिल में एहसास
दिल में एहसास
Dr fauzia Naseem shad
किंकर्तव्यविमूढ़
किंकर्तव्यविमूढ़
Shyam Sundar Subramanian
जबकि तड़पता हूँ मैं रातभर
जबकि तड़पता हूँ मैं रातभर
gurudeenverma198
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
वो
वो
Ajay Mishra
जब रंग हजारों फैले थे,उसके कपड़े मटमैले थे।
जब रंग हजारों फैले थे,उसके कपड़े मटमैले थे।
पूर्वार्थ
लक्ष्मी-पूजन का अर्थ है- विकारों से मुक्ति
लक्ष्मी-पूजन का अर्थ है- विकारों से मुक्ति
कवि रमेशराज
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
हमारा हाल अब उस तौलिए की तरह है बिल्कुल
हमारा हाल अब उस तौलिए की तरह है बिल्कुल
Johnny Ahmed 'क़ैस'
होने को अब जीवन की है शाम।
होने को अब जीवन की है शाम।
Anil Mishra Prahari
#दोहे (व्यंग्य वाण)
#दोहे (व्यंग्य वाण)
Rajesh Kumar Kaurav
लड़कों को एक उम्र के बाद
लड़कों को एक उम्र के बाद
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
यूं जो देख मुझे अब मुंह घुमा लेती हो
यूं जो देख मुझे अब मुंह घुमा लेती हो
Keshav kishor Kumar
पहाड़ के गांव,एक गांव से पलायन पर मेरे भाव ,
पहाड़ के गांव,एक गांव से पलायन पर मेरे भाव ,
Mohan Pandey
दुनियाँ
दुनियाँ
Sanjay Narayan
संसार में मनुष्य ही एक मात्र,
संसार में मनुष्य ही एक मात्र,
नेताम आर सी
" जब "
Dr. Kishan tandon kranti
छल छल छलके आँख से,
छल छल छलके आँख से,
sushil sarna
माँ
माँ
Harminder Kaur
😊😊😊
😊😊😊
*प्रणय*
ग्रीष्म ऋतु के रुठे पवन
ग्रीष्म ऋतु के रुठे पवन
उमा झा
दरिया की तह में ठिकाना चाहती है - संदीप ठाकुर
दरिया की तह में ठिकाना चाहती है - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
मायूसियों से भरे चेहरे...!!!!
मायूसियों से भरे चेहरे...!!!!
Jyoti Khari
जो बुजुर्ग कभी दरख्त सा साया हुआ करते थे
जो बुजुर्ग कभी दरख्त सा साया हुआ करते थे
VINOD CHAUHAN
सदैव खुश रहने की आदत
सदैव खुश रहने की आदत
Paras Nath Jha
दिलकश
दिलकश
Vandna Thakur
2747. *पूर्णिका*
2747. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...