ऐ शाम तू ठहर….
ऐ शाम तू ठहर,
मुझे कुछ कहना है,
सर्द हवा,शीतल सा मौसम,
इस पल में मुझको जीने दे । ऐ शाम तू ठहर….
देख वो श्याम चिरैया,
वापस आ बैठी है,
अपने घरौंदे में,
उसकी चिंह-चिंह सुनने दे । ऐ शाम तू ठहर….
थक चुका हूँ मैं,
दिन-भर की भागम-भाग से,
अभी तो आकर बैठा हूँ,
दो पल चैन के परिवार संग गुज़रने दे । ऐ शाम तू ठहर…
देख गर तू चला जायेगा,
आग़ोश चिरनिंद्रा का मुझे जकड़ लेगा,
थकान से टूट चुका बदन,
कुछ राहत मय्यसर होने दे । ऐ शाम तू ठहर….
फ़िर भी है अग़र जल्दी तुझको,
अपने घर वापस जाने की,
आ बैठ दो पल भी संग मेरे,
जाम-से-जाम मिलाने दे । ऐ शाम तू ठहर….