ऐ भगतसिंह तुम जिंदा हो हर एक के लहु में
विषय,,ऐ भगतसिंह तुम जिंदा हो,हर एक के लहुट में
दिनांक,,28/09/2023
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ऐ भगतसिंह तुम जिंदा हो,
हर एक लहु के कतरे में।
बिलख पड़े थे बाल्यकाल से
सुन मातृभूमि के खतरे में।।
उबल पड़ा था खून आपका,
छोटा उमर जब बालक थे।
रहे धीर वीर निर्भीक बालक,
सःकलम तुम्हारा ताकत थे।।
बिलख रही है अब मातृभूमि
नित्य देख देख तुम्हें सपने में ।ऐ भगतसिंह तुम जिंदा हो,
हर एक लहु के कतरे में।।
इंकलाब जिंदाबाद,नारा
जन जन को प्यारा था।
देश भक्त बलिदानी पुरूष
तेरा संकल्प न्यारा था।।
जेल अंदर रह कर भी तुम
बिल्कुल हार नही मानी।
स्वतंत्र कराने मातृभूमि को
संकल्प प्रतिज्ञा थी ठानी।।
जेल अंदर रह कर भी
दुश्मन को खुब ललकारे।
कलम ताकत, लिख पाती
दुश्मन को खुब फटकारे।।
जान जोखिम देकर भी तुम
खेल खेल खेलते थे खतरे।
ऐ भगतसिंह तुम जिंदा हो,
हर एक लहु के कतरे में।।
प्रण ठान चुका आजादी का
बाल्यकाल बच्चपन का।
चौबीस के आते-टुट गया
कीमती हीरा दर्पण सा।।
राज गुरू सुखदेव आजाद
संग संग रहते थे साथी।
हंसते हंसते स्वीकार किया
मात्र चौबीस वर्ष में फांसी।
भारत मां के लाल सपुत
तुम मातृभूमि के फरिंदा हो।
हर एक के लहु में,
ऐ भगतसिंह तुम जिंदा हो।।
डॉ विजय कुमार कन्नौजे अमोदी आरंग ज़िला रायपुर छ