ऐ बेदर्द ज़माने
आख़िर तेरा क्या बिगड़ जाता
अगर मेरा नसीब संवर जाता?
पहले जी लेता कुछ उसके साथ
फिर चाहे तुरंत मैं मर जाता!
Shekhar Chandra Mitra
आख़िर तेरा क्या बिगड़ जाता
अगर मेरा नसीब संवर जाता?
पहले जी लेता कुछ उसके साथ
फिर चाहे तुरंत मैं मर जाता!
Shekhar Chandra Mitra