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22 Nov 2020 · 1 min read

– ऐ जिन्दगी !!

ऐ जिन्दगी !!

ढलती उम्र के इस पड़ाव में
ऐ जिन्दगी! थोड़ा धीरे चल
नहीं मिला था वक्त पहले
उन ख्वाहिशों को मैं अब
पूरा कर लूं।

मौका मिला अब मुझे तो
थोड़ा ठहर!जरा और कविता
रच लूं।

तू साथ दे अगर मैं
आसमां में अपना नाम
रोशन कर लूं।

पहचाना मेर हुनर को तूने
खुशियां को मैं अब बाहों में
भर लूं।

लोग भूल कर भी न भूलें
मुझे अनूठा ऐसा मैं
कर चलूं।

कुछ अनमोल दोस्तों से
बरसो न मिली मैं उनसे
भी मिल चलूं।

मांगी थी अपनों के लिए
रब से दुआ पूरी होती मैं
देख लूं।

इंसानों से भी ज्यादा
हर पड़ाव पर जिन्दगी
तुझसे सीखा मैंने
हर उलझनों को सुलझाया
मै संवरी तू संवरी
मेरी जिंदगी..
ऐ जिन्दगी! ‘सीमा’थोड़ा ठहर।।।।

– सीमा गुप्ता (अलवर राजस्थान)

Language: Hindi
1 Like · 462 Views
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