ऐ जिंदगी
ऐ जिंदगी यह बता दें मुझे
कितने दुख झेलने हैं मुझे।
तेरे दिए हर दुख को सहता रहा हूं मै
जीने की कोशिश करता रहा हूं मै।
पर अब बस और नहीं
मुझमें अब ताकत नहीं।
हारा सा महसूस करता हूं
अधुरा सा महसूस करता हूं।
थक चुका हूं मैं लड़ते-लड़ते
थक चुका हूं मैं गिरकर उठके।
मुझमें अब ताकत नहीं
और दुःखों को सहने की
और तकलीफों से लड़ने की।
इसीलिए….
ऐ जिंदगी यह बता दें मुझे
कितने दुख और झेलने हैं मुझे।
क्योंकि अब थक गया हूं मै।
पूरी तरह से टूट चुका हूं मैं।
– श्रीयांश गुप्ता