ऐ ज़िंदगी।
ऐ जिंदगी दो कदम तू भी तो चल हम कबसे चल रहे है।
ठहरी पड़ी है तू वक्त के जानें कितने लम्हे गुजर रहे है।।
कुरान की आयते जाने कबसे याद तो हम भी कर रहे है।
पर इनमे से एक भी समझ में आती नही बस रट रहे है।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ
ऐ जिंदगी दो कदम तू भी तो चल हम कबसे चल रहे है।
ठहरी पड़ी है तू वक्त के जानें कितने लम्हे गुजर रहे है।।
कुरान की आयते जाने कबसे याद तो हम भी कर रहे है।
पर इनमे से एक भी समझ में आती नही बस रट रहे है।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ