ऐ चांद
जहां वो जायें
साथ चले जाना,
करवा चौथ निर्जल व्रत
समय पे तुडवाना।
मै यहाँ वो कहां ?
जल्दी खबर लाना,
तेरे बाद मुझे भी तो,
है चेहरा दिखाना।
प्यासे न रह जाएं
पानी भी है पिलाना,
पर्व के व्यजंन
हाथों से है खिलाना।
सोलह श्रृंगार सजधज
चाहे प्रिय को दिखाना।
ऐ चांद,
फिर कहता सुनो,
जहां हो वो
मुझे भी बताना,
हाथों की मेहंदी
रंग लगे सुहाना।
पैरों का आलता
लागे लुभावना,
नई नवेली का भाव
आलिंगन मे है लेना।
ह्रदयस्पर्शी मर्मस्पर्शी
चरणस्पर्श करेंगी वो,
आशीष है देना
रहो सदा सुहागन
प्रियतम का है कहना।
स्वरचित मौलिक
?
अश्वनी कुमार जायसवाल कानपुर 9044134297